कर्ज अगर नहीं चुका पाए तो सबकुछ लुटना तय है. घर-बार, जमीन-जायदाद और इज्जत… अक्सर यह देखने को मिलता है कि लोग किन्हीं कारणों से कर्ज तो ले लेते हैं, लेकिन ब्याज लगने के बाद उसे चुकाना उनके लिए भारी पड़ जाता है. कर्ज की मोटी रकम भरते-भरते उनकी जिंदगी इसी में गुजर जाती है. कुछ तो किसी तरह चुका देते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं, जो नहीं भर पाते. ऐसे में कई लोग आत्मघाती कदम जैसे खुदकुशी तक कर लेते हैं. एक दिन पहले यही हरियाणा के पंचकुला में देखने को मिला, जहां प्रवीण मित्तल नाम के शख्स ने अपने माता-पिता, पत्नी और तीन बच्चों के साथ जहर खाकर जान दे दी.

सामूहिक आत्महत्या को लेकर शुरुआत में जो जानकारी मिली, वह यह मिली कि प्रवीण मित्तल के ऊपर 20 करोड़ कर्ज था. पंचकुला में उनके दो फ्लैट और फैक्ट्री को बैंक ने ले लिया था, क्योंकि वह किस्त नहीं भर पा रहे थे. वह पंचकुला में दो कमरों के एक किराए के घर में रहते थे. साथ में उनके माता-पिता, पत्नी और तीन बच्चे भी रहते थे, लेकिन क्या आपको पता है कि अपने ऊपर लदे इस कर्ज को उतारने के लिए उन्होंने चार शहर बदल डाले, लेकिन उनका नसीब था कि रूठा ही रहा. हरियाणा से हिमाचल गए, फिर उत्तराखंड और बंगाल गए, लेकिन नसीब डूबता चला गया.

हिमाचल के बद्दी से रूठ गई प्रवीण मित्तल की किस्मत
मृतक प्रवीण मित्तल के मामा के लड़के संदीप अग्रवाल ने बताया कि प्रवीण मूल रूप से हरियाणा के हिसार जिले के बरवाला का रहने वाले थे. उन्होंने पंचकूला में स्क्रैप का काम शुरू किया. बिजनेस चल पड़ा तो अच्छी कमाई होने लगी. फिर उन्होंने हिमाचल के बद्दी में स्क्रैप की फैक्ट्री डाल दी, लेकिन यहीं से प्रवीण का नसीब ऐसा रूठा कि फिर वह कभी उभर नहीं पाए. धीरे-धीरे फैक्ट्री घाटे में चली गई और प्रवीण पर कर्ज बढ़ता चला गया. इस दौरान प्रवीण पर करीब 20 करोड़ से ज्यादा का कर्ज हो चुका था.

देनदार देने लगे धमकी, फ्लैट-फैक्ट्री सब चला गया
बैंक की तरफ से और जिन लोगों से उन्होंने लोन लिया था, उनकी तरफ से उन्हें कॉल आने लगे. देनदार उन्हें धमकी भी देने लगे थे. इन सभी से पीछा छुड़ाने के लिए प्रवीण पंचकुला छोड़कर परिवार सहित उत्तराखंड के देहरादून में शिफ्ट हो गए. इस दौरान बैंक ने उनके पंचकूला में स्थित दो फ्लैट और फैक्ट्री को कब्जे में लिया, क्योंकि प्रवीण ने बैंक का लोन नहीं चुकाया था. कुछ समय के लिए प्रवीण पश्चिम बंगाल के कोलकाता भी गए, पर वहां भी काम नहीं जम पाया तो वापस देहरादून आ गए.

बोल-चाल में काफी शरीफ थे प्रवीण- मकान मालिक
देहरादून में रह कर वह टूर एंड ट्रैवल का काम कर रहे थे. पांच साल तक उनका किसी से कुछ संपर्क नहीं रहा. अभी हाल में वह देहरादून छोड़कर वापस पंचकुला आ गए. यहां किराए का कमरा लेकर रह रहे थे और टैक्सी चलाते थे. पंचकुला में जिस घर में इस समय प्रवीण रह रहे थे, उसके मकान मालिक ने बताया कि प्रवीण तीन दिन बाहर जाने का बोलकर गए थे. मुझे उनका फोन आया था कि बच्चों को नानी के घर लेकर जा रहे हैं. पानी भर रखिएगा, लेकिन आश्चर्य है कि उन्होंने आत्महत्या कर ली. बोल-चाल में काफी शरीफ थे. सुबह मॉर्निंग वॉक एक साथ करते थे. पिछले 25 दिनों से सात जन परिवार के दो कमरों में रह रहे थे.

भतीजे ने सुसाइड पर उठाए सवाल
वहीं प्रवीण मित्तल के भतीज ने इस सुसाइड पर सवाल उठाया. भतीजे अंकित मित्तल ने बताया कि साल 2007 में उन्हें नुकसान हुआ था, जिसके बाद वो पंचकूला छोड़कर पहले कोलकाता गए और फिर वहां तीन महीने बाद देहरादून शिफ्ट हो गए. वहां वो कैब चलाकर परिवार का गुजर-बसर कर रहे थे. हाल ही में वो और उनकी फैमली शादी में शामिल हुई थी. तब भी उन्होंने ऐसा कुछ नहीं बताया था. अंकित ने कहा कि अगर उन्हें आत्महत्या करनी ही थी तो तब करते, जब कर्ज में डूब गए थे. अब तो उनके ऊपर कर्ज नहीं था, क्योंकि बैंक ने उनकी प्रॉपर्टी, कार और फैक्ट्री जब्त कर ली थी.