गुजरात।  22 जुलाई 2025 को वडोदरा, गुजरात के अम्बे स्कूल, हरनी-सामा रोड परिसर में बहुप्रतीक्षित पुस्तक ‘द फायर ऑफ़ सिंदूर: इंडिया’ज़ स्ट्राइक अगेन्स्ट टेरर’ का भव्य लोकार्पण हुआ। यह पुस्तक भारतीय सेना द्वारा 2025 में किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की साहसिक दास्तान को उजागर करती है। लेखक रोशन भोंडेकर और निलॉय चट्टराज द्वारा रचित यह दस्तावेज़ आतंकवाद के विरुद्ध भारत की निर्णायक कार्रवाई, रणनीति और भावनात्मक दृढ़ता को सामने लाता है।

इस आयोजन में 500 से अधिक विद्यार्थियों, शिक्षकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और गणमान्य अतिथियों ने भाग लिया, जो देशभक्ति और सामाजिक चेतना से ओतप्रोत इस अवसर के साक्षी बने। गुजरात राज्य के लिए इस पुस्तक के ब्रांड एम्बेसडर और प्रतिष्ठित शिक्षाविद् श्री दिनेश बारोट ने लेखक द्वय की ओर से पुस्तक का प्रतिनिधित्व किया और उनके विचारों, उद्देश्यों और इस मिशन की भावना को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया।

समारोह में अनेक विशिष्ट अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति ने कार्यक्रम को एक नई ऊंचाई प्रदान की। इनमें से प्रमुख नाम हैं:
 • कर्नल (सेवानिवृत्त) विनोद फालनीकर
 • डॉ. सुनील नायक, जीएमईआरएस वडोदरा
 • चन्द्रराज सोलंकी, एसीपी वडोदरा
 • नयन कोठारी, चार्टर्ड अकाउंटेंट
 • अमित शाह, अध्यक्ष, अम्बे ग्रुप ऑफ स्कूल्स
 • विवेक शाह, निदेशक, अम्बे स्कूल
 • धीरज सर, सीईओ, अम्बे स्कूल
 • भावेश सोलंकी, कार्यालय अधीक्षक, गांधीनगर
 • सीमा यादव, अधिवक्ता एवं नोटरी, उच्च न्यायालय
 • परेश शाह, प्राचार्य, अम्बे स्कूल

कार्यक्रम का आयोजन विवेक शाह (निदेशक, अम्बे विद्यालय एवं जय अम्बे स्कूल, हरनी) और दिनेश बारोट के कुशल नेतृत्व में किया गया। दोनों ने मिलकर यह सुनिश्चित किया कि पुस्तक विमोचन समारोह केवल एक औपचारिक आयोजन न बनकर, विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बने।

‘द फायर ऑफ़ सिंदूर’ एक सशक्त नॉन-फिक्शन कथा है, जो 2025 में भारत द्वारा किए गए साहसिक सर्जिकल स्ट्राइक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर आधारित है। पुस्तक में उस रणनीतिक कार्रवाई की समग्र जानकारी दी गई है जिसमें आतंकवाद के विरुद्ध भारत ने अपनी सैन्य शक्ति, खुफिया व्यवस्था और मानवीय मूल्य– तीनों को एकसाथ प्रस्तुत किया। यह केवल एक सैन्य मिशन नहीं, बल्कि एक राष्ट्र के आत्म-सम्मान की रक्षा का प्रयास था।  पुस्तक में घटनाओं को दिन-प्रतिदिन के आधार पर क्रमबद्ध किया गया है, जिससे पाठकों को एक वृत्तचित्र जैसी अनुभूति होती है। लेखकों ने गहन शोध, साक्षात्कार और आधिकारिक स्रोतों के आधार पर इस मिशन की सच्चाई को उजागर किया है। युवाओं, विद्यार्थियों, नीति-निर्माताओं और देशभक्तों के लिए यह पुस्तक प्रेरणा और चेतना का दस्तावेज है।

लेखक रोशन भोंडेकर और निलॉय चट्टराज ने इस पुस्तक की रॉयल्टी भारतीय एनजीओ को समर्पित करने का निर्णय लिया है, जो अनाथ बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और पुनर्वास के लिए कार्य कर रहे हैं। यह पहल पुस्तक को केवल एक साहित्यिक रचना नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव का माध्यम भी बनाती है।

समाज में संदेश

समारोह के दौरान वक्ताओं ने आतंकवाद के विरुद्ध भारत की स्थिति, युवाओं की भूमिका और शिक्षा के माध्यम से जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। श्री दिनेश बारोट ने कहा, “यह पुस्तक नई पीढ़ी को समझाती है कि राष्ट्र के लिए किए गए बलिदान केवल इतिहास नहीं, प्रेरणा हैं।”कर्नल (से.नि.) विनोद फालनीकर ने कहा, “मुझे गर्व है कि हमारी कहानी अब केवल फाइलों में नहीं, एक पुस्तक के रूप में सामने आई है, जो आने वाली पीढ़ियों को जागरूक करेगी।”

समापन विचार

‘द फायर ऑफ़ सिंदूर’ का यह विमोचन न केवल एक पुस्तक के सार्वजनिक आगमन का क्षण था, बल्कि एक संकल्प का प्रतीक भी बना – कि भारत आतंकवाद के विरुद्ध चुप नहीं रहेगा, और उसकी अगली पीढ़ी इन गाथाओं को पढ़कर और भी सजग, साहसी और समर्पित बनेगी।
इस अवसर ने यह प्रमाणित किया कि साहित्य, समाज और राष्ट्र एक-दूसरे के पूरक हैं। जब साहित्य, सच्चाई और साहस को स्वर देता है, तब समाज जागरूक होता है, और राष्ट्र प्रगति की ओर अग्रसर होता है।