पंजाब। पंजाब सरकार ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत प्रदूषण के स्तर में सुधार करने के लिए 215 करोड़ रुपये खर्च कर दिए लेकिन फिर भी प्रदेश के चार शहर यलो जोन में बने हुए हैं। खन्ना, लुधियाना, अमृतसर व गोबिंदगढ़ के प्रदूषण के स्तर में सुधार जरूर हुआ है लेकिन अभी भी इन शहरों की हवा खराब बनी हुई है। प्रदेश के सिर्फ दो शहर जालंधर और अमृतसर में ही राज्य सरकार वायु प्रदूषण के पीएम10 स्तर को 40 प्रतिशत कम कर पाई है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।

मंत्रालय ने देश के सभी शहरों में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए वर्ष 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम की शुरुआत की थी। कार्यक्रम का मकसद 130 शहरों में वर्ष 2024 तक वायु प्रदूषण को कम करना था। केंद्र सरकार ने सभी शहरों को वर्ष 2017 के मुकाबले 2024 तक 20 से 30 प्रतिशत वायु प्रदूषण को कम करने का लक्ष्य दिया था। इस लक्ष्य को बाद में बढ़ाकर वर्ष 2025-26 तक 40 प्रतिशत कर दिया गया था।

सूबे के सात शहरों में प्रदूषण के स्तर में थोड़ा बहुत सुधार जरूर हुआ है लेकिन डेराबस्सी में कम होने की जगह उलटा प्रदूषण बढ़ गया है। वर्ष 2017-18 में डेराबस्सी का एयर क्वालिटी इंडेक्स 88 था, जो वर्ष 2024-25 में बढ़कर 98 हो गया है। इस तरह प्रदूषण का स्तर 11.4 प्रतिशत और बढ़ गया है। वायु प्रदूषण कम करने के लिए राज्यों को विशेष फंड भी जारी किया जा रहा है, जिसका उपयोग राज्यों की तरफ से अलग-अलग परियोजनाओं में किया जाता है। पंजाब को अब तक इस योजना के तहत 325.77 करोड़ रुपये फंड मिल चुका है, जिसमें से 215.46 करोड़ खर्च भी किए जा चुके हैं।

सभी जिलों में प्रदूषण के स्तर में सुधार

जिला                         वर्ष 2017-18             2024-25 सुधार का प्रतिशत
जालंधर                         178                        99                44.4
अमृतसर                       189                        112               40.7
खन्ना                           142                        101               28.9
डेरा बाबा नानक              79                          58                 26.6
लुधियाना                      168                        129               23.2
मंडी गोबिंदगढ़               148                        124               16.2
पटियाला                      106                         91                 14.2
डेराबस्सी                       88                          98                -11.4

प्रदेश को 9 शहरों को गैर-प्राप्ति शहरों की सूची में किया था शामिल

इससे पहले केंद्र ने प्रदेश के 9 शहरों को गैर प्राप्ति शहरों की सूची में शामिल किया था। गैर-प्राप्ति उन शहरों को घोषित किया जाता है, जो 5 साल की अवधि में लगातार वायु गुणवत्ता स्तर पीएम-10 के लिए राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक को पूरा नहीं करते हैं। इन शहरों में डेराबस्सी, गोबिंदगढ़, जालंधर, खन्ना, लुधियाना, नया नंगल, पठानकोट, पटियाला और अमृतसर को शामिल किया गया था। पीएम10 वायु प्रदूषण का एक स्तर है, जो सभी के स्वास्थ्य को बहुत नुकसान पहुंचाता है। जब प्रदूषण कणों का स्तर वायु में बढ़ जाता है तो सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन आदि होने लगती है।